प्रदेश में मिट्टी का कार्य करने वाले कारीगरों एवं शिल्पियों के व्यवसाय में वृद्धि करने, तत्सम्बन्धित कलाकारों की परम्परागत कला को संरक्षित और सम्बधिंत करते हुए, उनकी सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सुद्दढ़ता एवं तकनीकी विकास को बढ़ावा देने व विवरण आदि की सुविधा उपलब्ध कराने तथा परम्परागत उद्योगों को नवाचार के माध्यम से संरक्षित एवं संबधिंत करते हुए अधिकाधिक लोगों को रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से “हरियाणा मिट्टी कला बोर्ड" को एक स्वशासी निकाय के रूप में गठित किया गया। उद्योगिक जगत द्वारा कच्चेमाल के रूप में माटी का प्रयोग कर मूर्तिया, खिलौने, बर्तन इत्यादि वस्तुएं बनाने का प्रचलन सदियों से रहा हैं। आज भी हरियाणा में पर्याप्त संख्या में माटीकला शिल्पी इस परम्परागत उद्यम में लगे हुये हैं। वर्तमान परिवेश में मिट्टी की वस्तुओं की मांग कम होने से एक तरफ परम्परागत कारीगरों के सक्षम रोजी रोटी की समस्या है,तो दूसरी तरफ माटी के आवश्यक विकल्प के रूप में प्लास्टिक उत्पादों का प्रसार निरन्तर बढ़ रहा है जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। इस प्राचीन कला का संरक्षित करते हुए उक्त कला से निर्मित वस्तुओं को रोजगार युक्त कर आम जन तक पहुँचाने हेतु उद्योग एवं वाणिज्य विभाग हरियाणा की अधिसूचना संख्या 1/15-2010-31B1/1525 dated 08-12-2010 द्वारा हरियाणा मिट्टी कला बोर्ड का गठन किया गया है।